अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो यह कहानी आपके लिए है : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi: नमस्कार दोस्तों, आप सभी का हमारे Shridas K Motivation ब्लॉग पर स्वागत है। दोस्तों इस पोस्ट के जरिये हम आपके साथ एक मोटिवेशनल कहानी शेयर करने वालें है, जो आपको बहुत कुछ सिखायेगी भी और आपको बहुत पसंद भी आयेगी। तो चलिए कहानी की शुरुआत करते है।

Moral Stories in Hindi

Short Moral Stories In Hindi For Success

दोस्तों एक जंगल में एक काला कव्वा रहता था और वो अपने काले रंग से बहुत परेशान था। इसीलिए वो काला कव्वा एक महात्मा जी के पास चला जाता है और उनसे कहता है की महात्मा जी मैंने सुना है की आप किसी का भी रूप परिवर्तित कर सकते है।

महात्मा जी में अपने इस काले रूप से बहुत परेशान हु और मुझे अपना यह रूप बदलना है। इसलिए में आपसे यह चाहता हु की आप मेरे इस काले रूप को बदल दीजिये। उस काले कव्वे की यह सब बाते सुनने के बाद महात्मा जी उससे कहते है की “आखिर तुम्हे दिक्कत क्या है?”

फिर वो काला कव्वा अपने दुःख को बताते हुए महात्मा जी से कहता है “महात्मा जी में काले रंग का हु और इसलिए मुझे काले रंग से घिन्न आने लगी है। क्यूंकि लोग मुझे देखते ही उड़ा देते है और अपने नजरो के सामने रखना पसंद नहीं करते। कभी आपने देखा है की किसी इन्सान ने मुझे लाड प्यार से अपने घर में रखा है? इसलिए मुझे बदलना है।

फिर महात्मा जी उससे कहते है की “ठीक है में तुम्हारे इस काले रूप को नए रूप में परिवर्तित कर देता हु, लेकिन उससे पहले तुम मुझे यह बताओ की तुम किसकी तरह बनना चाहते हो? कव्वे ने कहा की मुझे हंस बनना है। फिर महात्मा जी ने कहा ” इतनी सी बात! अभी बना देता हु।

लेकिन हंस जैसा बनाने से पहले में यह चाहता हु कि तुम हंस से एक बार मिलकर के आओ और उससे तुम पूछ लों की क्या वो खुश है? कव्वे ने कहा की बात तो सही है और वो कव्वा उड़ते हुए उस हंस के पास चला गया और उससे कहा की “मेरे मित्र हंस मैंने यह सुना है की आप बहुत खुश है क्यूंकि आपका रंग सफ़ेद है?

फिर उस हंस ने कव्वे से कहा की “तुम्हे यह बेवकूफ भरी बात किसने कह दी की में अपने सफ़ेद रंग के कारन खुश हु। में अपने सफ़ेद रंग के कारन बिलकुल भी खुश नहीं हु और यह सफ़ेद रंग ही मेरे दुःख का कारन है। हंस की यह बाते सुनने के बाद कव्वे ने हंस से कहा की,

“भला सफ़ेद रंग से किसी को क्या दिक्कत हो सकती है क्यूंकि सफ़ेद रंग तो कितना प्यारा है और मुझे सफ़ेद रंग तो बहुत पसंद है।” फिर हंस उस कव्वे से कहता है की “तुमने देखा है जब कोई व्यक्ति मरता है तो उसकी अर्थी उठाई जाती है और उसकी अर्थी पर सफ़ेद कलर की चादर ढकी जाती है।

ये कोई रंग है सफ़ेद, इसलिए में इस सफ़ेद रंग से बहुत परेशान हु. इसलिए अगर मुझे कभी अपना रूप बदलने का मौका मिल जाये तो में अपने रूप को अवश्य बदल दूंगा। फिर उस कव्वे ने उस हंस से कहा की “अरे व्वा आप भी अपना रूप बदलना चाहते है? तो आप मेरे साथ चलिए एक महात्मा जी के पास, जो किसी के भी रूप को परिवर्तित कर सकते है।

लेकिन वैसे आप बनना क्या चाहते है? फिर उस हंस ने कव्वे से कहा की “में तोता बनना चाहता हु, क्यूंकि तोते की लाल रंग की चोच है और बाकि का शरीर हरे रंग का है। इसलिए में तोता बनना चाहता हु. फिर वो दोनो उड़कर के उन महात्मा जी के पास चले गए और उनसे कहा की हम दोनों को तोते जैसा बना दीजिये।

महात्मा जी ने उन दोनों से कहा की तोते जैसा बनने से पहले एक तोते से मिलकर कर के आओ और उससे पूछो की क्या वो हरे और लाल रंग के वजह से खुश है? फिर वो दोनों उड़कर के तोते के पास चले गए। पहले तो वो तोता उनको मिला नहीं क्यूंकि उस जगह पर बहुत ज्यादा हरियाली थी और उसमे हरे रंग का तोता ढूँढना उनके लिए बहुत मुश्किल हो गया था।

बड़ी मुश्किल से एक तोता उनको मिल गया, फिर वो दोनों उस तोते की बहुत तारीफ करने लगे की तुम बहुत अच्छे हो, क्यूंकि तुम्हारे पास तो दो दो रंग है, इसीलिए तुम तो बहुत खुश रहते होगे? और बहुत लोग तुम्हारी प्रशंशा भी करते है। उन दोनों की यह सब बातें सुनने के बाद तोते ने उन दोनों से कहा की “में खुश रहता हु और यह हरा रंग! यह कोई खुश रहने की बात है।”

क्यूंकि इतनी हरियाली में बड़ी मुश्किल से आपको मिल पाया हु, इसलिए यह हरा रंग देखो मुझे कितनी दिक्कत देता है। और में कोई खुश बिश नहीं रहता हु क्यूंकि मेरे इस रूप के कारन ही लोग मुझे पकड़कर के अपने घर में ले जाते है और पिंजरों में कैद कर लेते है और फिर मुझसे बहुत सारी बातें बुलवाते है।

में तो बहुत परेशान हो गया हु, क्यूंकि मेरे इस रूप के कारन लोगो ने तो मुझे अपने मनोरंजन का साधन बना लिया है। अगर मुझे कभी मौका मिले तो में अपना रूप बदल लूँगा। तोते की मुह से यह सब दुःख भरी बातें सुनने के बाद कव्वा और हंस ये दोनों एक दुसरे को देखने लगे और दोनों ने उस तोते से कहा की,

“हम दोनों तुम्हारे इस रूप को बदलने में तुम्हारी सहायता कर सकते है, क्यूंकि एक महात्मा जी है जो किसी के भी रूप को परिवर्तित कर सकते है।” फिर तिन्हो उड़कर के उन महात्मा जी के पास चले गए और उन तिन्हो ने महात्मा जी से कहा की हमें मोर जैसा बना दीजिये।”

फिर महात्मा जी ने उन तिन्हो से कहा की ठीक है में तुम तिन्हो को मोर जैसा बना सकता हु, लेकिन उससे पहले तुम तिन्हो एक मोर के पास जाकर के मिल लों और उससे पूछ तो लो की क्या वो खुश है? फिर तिन्हो उड़कर के एक मोर के पास चले गए और उससे पुछा की तुम तो बड़े खुश हो और लगता है की तुमसे ज्यादा खुश पक्षी इस दुनिया में कोई और नहीं हो सकता है।

क्यूंकि तुम्हारा कितना सुन्दर रूप है और क्या तुम नृत्य करते हो! यह सब बाते सुनने के बाद मोर ने उन तिन्हो से कहा की “यही तो सबसे बड़ी परेशानी है की में सुन्दर हु। तुम्हे एक आवाज सुनाई दे रही है? तिन्हो ने कहा की हाँ हाँ सुनाई दे रही है, ऐसा लग रहा की कोई इन्सान हमारे पास आ रहा है।

फिर मोर ने कहा की “बस खतरा है, उड़ जाओ और वो तिन्हो वहा से उड़ गए और वो मोर वही पर ही रह गया. फिर उसके बाद एक तीर आया और आकर के उस मोर को लग गया और वो मोर छटपटाने लगा और वो मोर छटपटाते हुए तिन्हो से कहने लगा की “सुन लों जिस हाल में हो उस हाल में ही खुश रहो।”

क्यूंकि में इतना सुन्दर हु, इसीलिए तो मेरा शिकार कर लिया जा रहा है। और मेरे मरने के बाद मेरे पंखो को निकालकर बाजार में बेच दिया जायेगा। और फिर उस मोर ने कव्वे से कहा की तुम सबसे ज्यादा खुश हो? फिर कव्वे ने कहा की वो कैसे?

मोर ने कव्वे से कहा की “तुमने कभी सुना है की कभी कोई इन्सान कव्वे को खा रहा है, इन्सान मुर्गे के बच्चो को खा लेता है, लेकिन कव्वे को कभी नहीं खाता है। इसीलिए तुम सुरक्षित हो क्यूंकि तुमसे किसी को मतलब ही नहीं है और तुम अपने हाल में खुश हो, लेकिन दिक्कत यह है की तुम अपनी तुलना दुसरो से करने लगते हो और तुम दुखी हो जाते हो।”

दोस्तों यह कहानी इन पक्षियों की नहीं है बल्कि आपकी और हमारी है। हम जिस हाल में है उस हाल में हमें खुश रहना सिख लेना चाहिए। अगर हम अपनी तुलना किसी ओर से करते रहेंगे तो इस तुलना का कोई अंत नहीं होता है, क्यूंकि तुलना हमारे सुखों का अंत करने लगती है।

दोस्तों इसीलिए कभी भी अपनी तुलना किसी ओर व्यक्ति से कभी न करे। क्यूंकि आप हमेशा यह याद रखना की “सूर्य और चन्द्र माँ इन दोनों का अपना अपना महत्व है, और इसीलिए इन दोनों की एक दुसरे से कभी तुलना नहीं की जा सकती है। क्यूंकि दोनों में से जिसका जब समय आता है तभी वह चमकता है।

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धन्यवाद हरे कृष्ण …

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